भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर: जाने जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएँ भाग-3. कब, क्या हुआ? Bharat Ratna Babasaheb Bhimrao Ambedkar: Know important events related to life.|| Part-3 || When, what happened?

 बाबा साहेब के जीवन कि महत्वपूर्ण घटनाओ का ये तीसरा हिस्सा है | आशा करते है पाठकों को पसंद आएगा|  


जनवरी 1945 -  कोलकाता में 'पीपल्स हेरालड' साप्ताहिक समाचार पत्रका विमोचन किया।

मार्च 1945: - वायसराय की एग्जिक्युटिव कौंसिल में सुझाव दिया कि देश की एयर लाइन्स पर पूंजीपतियों की बजाय सरंकार का कब्जा होना चाहिए।

अप्रैल 1945 - बाबासाहेब की पहली किताब 'थॉट्स ऑन पाकिस्तानअब नई किताब पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडियानाम से प्रकाशित हुई।


6 मई 1945 - परेल बम्बई में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सालाना सम्मेलन में विधान सभाओं में अछूतों के लिए अधिक सुरक्षित सीटों की मांग की।

7 जून 1945 - वायसराय लार्ड वेवल को पत्र लिखकर नाराजगी जताई कि वायसराय की कॉसिल में अनु. जातियों के पर्याप्त प्रतिनिधि नहीं है यदि मांगे नहीं मानी तो वह इस्तीफा दे देंगे।

जून 1945 - बाबासाहेब की बहुत ही चर्चित किताब कांग्रेस -व गांधी ने अछूतों के लिए क्‍या किया ? * प्रकाशित हुई | किताब में कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे अछूतोद्वार अभियान की वास्तविकता को उजागर किया। किताब से राजनीतिक क्षेत्र में जोरदार हलचल .

8 मई 1945 - बम्बई में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन का राष्ट्रीय सम्मेलन । सवा लाख प्रतिनिधि शामिल हुए, समता सैनिक दल ने पूरी व्यवस्था देखी अंबेडकर ने कहा, हमें किसी की दया पर नहीं बल्कि हिम्मत, बुद्धि व कार्य क्षमता के बल पर समाज व देश के लिए काम करना है।

जून 1945 - शिमला में वायसराय लार्ड वेवल ने कॉन्फ्रेंस रखी। अंबेडकर ने अछूतों के अधिकारों का पूरा दस्तावेज भेजा। सभा असफल |

जुलाई 1945 - ब्रिटेन के चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी की हार व लेबर पार्टी की गवर्नमेंट बनी, अंबेडकर ने खुशी जताई वर्ल्ड वॉर में जापान ने हार मान ली।

सितम्बर 1945 - वायसराय लंदन से भारत लौटते ही देश मे आम चुनाव की घोषणा। शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने संसाधन कम होने के बावजूद चुनाव में भाग लेने का तय किया।

4 अक्टूबर 1945 – पूना में आयोजित पहली चुनावी सभा में बाबा साहेब ने कहा कि  कांग्रेस पूंजीपतियों को मजबूत करने वाली पार्टी है और उससे समाज सुधार की उम्मीद करना व्यर्थ है ।

30 अक्टूबर 1945- पूना के अंबेडकर स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स संस्था का उद्घाटन किया ।

8 नवम्बर 1945 - कटक में उड़ीसा.बहुपक्षीय दरियाई कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इसी के कारण दामोदार घाटी परियोजना का स्वरूप प्रस्तुत हुआ और उड़ीसा व आसापास का क्षेत्र बाढ़ की तबाही से बच पाया।

27 नवम्बर 1945 - इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस दिल्ली में भाग लिया। पूंजीपतियों को मजदूरों के कल्याण की उपेक्षा के लिए आड़ो हाथों लिया।

29 नवम्बर 1945 - देश में चुनाव प्रचार तेज। अहमदाबाद में चुनावी सभा को संबोधित किया। कहा, ब्रिटिश सरकार ज्यादा समय तक टिकने वाली नहीं है। कई पार्टियों के नेता मिले।

3 दिसम्बर 1945- मनमाड़, अकोला के बाद नागपुर में विशाल चुनावी सभा, डेढ़ लाख लोग शामिल। कहा, कांग्रेस पार्टी गुरू घंटाल की तरह है जो तीन चौथाई रोटी खुद खा जाता है और एक चौथाई अपने शिष्यों को देता है।


15 दिसम्बर 1945- मद्रास में नॉन ब्राह्मण लॉयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित सभा में काले कानूनों से भरी किताब मनु स्मृति पर तेज प्रहार किए। हिंदुओं का भारी विरोध | मारने की धमकियां।

5 जनवरी 1946 - ब्रिटिश पार्लियामेंट कमेटीं का भारत दौरा। मंडल ने अंबेडकर से अलग से मुलाकात की | देश की कुछ इलाकों का दौरा।

भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर: जाने जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएँ भाग-1

भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर: जाने जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएँ भाग-2

13 फरवरी 1945 - सोलापुर के कई कार्यक्रमों मे शामिल हुए।

14 फरवरी 1945 - दिल्ली प्रदेश शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की सभा में कहा, यदि संविधान उनकी सहमति से नहीं बनाया गया तो वह उसको मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे। दलित अलग देश की नहीं बल्कि बराबरी की मांग कर रहे है।

10 मार्च 1946 - आगरा की शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की सभा। बिना थके, बिना रूके एक कर्मयोगी की तरह अपने लक्ष्य की ओर लगे हुए थे। स्वास्थ्य में गिरावट | मारने की धमकियों के बावजूद निडरता से मंजिल की ओर बढ़ रहे थे। अपार घृणा के साथ बेशुमार आदर भी साथ मिल रहा था।

मार्च 1946 - चुनाव परिणाम घोषित | शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की भारी पराजय। सवर्ण हिंदुओं के छल कपट और कांग्रेस के घन, बल व संसाधनों के आगे शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की भारी पराजय। अंबेडकर को हल्की निराशा लेकिन वापस मंजिल की ओर चल पड़े।

24 मार्च 1946 - ब्रिटिश मंत्रिमंडल की कमेटी केबिनेट मिशन दिल्ली पहुंची। वायसराय लॉज ने नेहरू, पटेल, गांधी, जिन्‍ना, अंबेडकर व श्यामाप्रसाद मुखर्जी से भेंट की | अंबेडकर ने दलितों का पक्ष रखा।

5 अप्रैल 1946 - अंबेडकर ने केबिनेट मिशन के समक्ष दलितों का पक्ष मौखिक व लिखित दोनों रूप में रखा। दलितों के लिए पृथक निर्वाचन, विधानसभाओं व सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के लिए आयोग के गठन की मांग।

29 अक्टूबर 1946- वायसराय को अपनी मांगों के पक्ष में फिर से बहुत ही विद्वता व होशियारी से मिशन के सामने स्मरण पत्र प्रस्तुत किया।

अक्टूबर 1946 - गांधीजी ने सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को पत्र लिखकर व व्यक्तिगत भेंटकर एग्जिक्यूटिव कौंसिल से अंबेडकर को बर्खास्त करने की मांग कर डाली |

1 मई 1946 - कांग्रेस ने भारत बंटवारे को मान्यता दी। पं. नेहरू ने लॉर्ड माऊंटबेटन को पत्र लिखा कि भारत के विभाजन को कांग्रेस ने मान लिया है बंगाल और पंजाब का विभाजन करना पड़ेगा।

16 मई 1946 - केबिनेट मिशन ने अपने फैसले को स्टेट पेपर के रूप में प्रकाशित कर जारी किया लेकिन अनुसूचित जातियों के मुधों पर कुछ नहीं कहा, उपेक्षा ही नहीं की गई बल्कि उनके के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया गया।

मई 1946 - चुनाव के बाद वायसराय ने एग्जिक्युटिव कौंसिल भंग की | मंत्रिमंडल को सूचित किया। अंबेडकर दिल्ली छोड़कर वापस बम्बई आ गए। बम्बई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत ।

20 जून 1946 - बम्बई में सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड सांइस की शुरूआत।

26 जून 1946 - तीन महीने बाद केबिनेट मिशन वापस लंदन गया। दलितों की उपेक्षा, बाबासाहेब की सारी मेहनत व उम्मीदों पर पानी फिर गया।

मई 1946 - बाबासाहेब बम्बई लौटे तो माहौल बहुत तनाव में था। कांग्रेस के उत्तेजित गुंडों, कट्टरपंथी हिंदुओं व अंबेडकर अनुयायियों के बीच कुछ झड़पें। बेटे यशवंत राव की भारत,भूषण प्रिन्टिंग प्रेस जलाकर राख कर दी।


4 जून 1946 - दादर बम्बई में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की मीटिंग में केबिनेट मिशन की सिफारिशों की निंदा की और साजिश बताया। पृथक निर्वाचन की मांग के लिए आंदोलन की तैयारी ।

20 जून 1946 - पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी की स्थापना। बम्बई में गौरवशाली संस्थान सिद्धार्थ कॉलेज की नींव रखी गई।

 

25 जून 1946 - वायसराय ने एग्जिक्यूटिव कौंसिल के सभी मेम्बर्स को विदाई दी। लेबर मिनिस्टर के रूप में बाबासाहेब द्वारा किए गये कार्यों की वायसराय ने काफी सराहना की |

15 जुलाई 1946 - शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के आह्वान पर दलितों के प्रतिनिधित्व कीमांग पर पूना के सेक्रेटेरिएट के पास सत्याग्रह,  सैकड़ों महिला पुरूष सत्याग्रही गिरफ्तार |

जुलाई 1945 - डॉ. अंबेडकर व सरदार पटेल की मुलाकात लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका। कांग्रेस के दलित नेता अंबेडकर व उनके आंदोलन के खिलाफ | जगजीवन राम विरोधियों में प्रमुख थे।

जुलाई 1946 - केबिनेट मिशन की योजना के अनुसार संविधान निर्मात्री सभा के गठन की कार्यवाही शुरू | अंबेडकर ने अपना नोमिनेशन पेपर बंगाल विधान परिषद से दाखिल किया। पूरे देश की नजर बाबासाहेब के चुनाव पर टिकी |

20 जुलाई 1946 - दलितों की एकता व मेहनत रंग लाई। अंबेडकर की भारी जीत, निर्दलीय उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट मिले। बंगाल के इस चुनाव की कमान जोगेन्द्रनाथ मंडल ने संभाल रखी थी, उनका योगदान महान था।

24 अगस्त 1946 - वायसराय ने अंतरिम सरकार के 44 सदस्यों के नामों की घोषणा की जिसमें दलित प्रतिनिधि के रूप में सिर्फ जगजीवनराम को शामिल किया | शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन का पूरे देश में सत्याग्रह तेज |

5 अक्टूबर 1946- दलितों के प्रतिनिधित्व की उम्मीद के लिए एक आखरी कोशिश करने के लिए कराची मार्ग से ब्रिटेन के लिए रवाना। अछूतों के हकों के लिए बैचेन थे।

26 अक्टूबर 1946- कांग्रेस ने टेढ़ी चाल चली | जोगेन्द्र नाथ मंडल को अंतरिम सरकार में मंत्री बना दिया | अंबेडकर की मांग फीकी पड़ गई।

30 अक्टूबर 1946- ब्रिटिश नेताओं से मुलाकात करी। प्रधानमंत्री एटली, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट, चर्चिल, सेमुअल होरे से मिलकर दलितों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व व अन्य समस्याओं के बारे में पक्ष रखा।

5 नवम्बर 1945 - हाऊस ऑफ कॉमन्स में कंजरवेटिव पार्टी के मेम्बर्स को संबोधित किया। अथाह प्रयासों के बावजूद ब्रिटेन यात्रा व्यर्थ गई। ब्रिटिश सरकार कांग्रेस के बहकावे में आ गई, कहा अब कांग्रेस ही दलितों का भविष्य तय करेगी | बाबासाहेब की हर राह पर कांटे ही बिछे हुए थे।

29 अप्रैल 1947 - संविधान के अनुच्छेद 7 में अछूत' शब्द को हटाने के लिए सरदार पटेल ने संविधान सभा में प्रस्ताव रखा जिसे पास कर दिया। संविधान सभा में छुआछूत को जड़ से समाप्त  करने का प्रस्ताव पास हुआ तथा  छुआछूत दंडनीय अपराध घोषित  |

10 जून 1947 - बंगाल विभाजन से संविधान सभा में अंबेडकर की सीट निरस्त हुई तोकांग्रेस में उनके कई विरोधियों ने भी अंबेडकर को बंबई से जीताकर लाने का समर्थन किया। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बंबई के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि अंबेडकर को जिताया जाना बहुत जरूरी है।

3 जुलाई 1947 - संविधान समिति की ध्वज समिति के मेम्बर डॉ. अंबेडकर बम्बई आए। राष्ट्र ध्वज पर विचार ।

 

14 जुलाई 1947 - बम्बई विधानसभा से चुन कर आने के बाद अंबेडकर फिर से मीटिंग में शामिल ।

22 जुलाई 1947 - राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंगों के साथ अशोक चक्र का स्वरूप स्वीकार कर लिया गया, गांधी दुखी। कांग्रेस ने अशोक चक्र की बजाय चरखे की मांग रखी।

15 अगस्त 1947 - आखिर भारत का बंटवारा हुआ। एक दिन पहले पाकिस्तान बना। सांप्रदायिक दंगों में भारी खून-खराबे के बाद भारत को राजनीतिक आजादी मिली।

 

5 जुलाई 1947 - ब्रिटिश लोकसभा ने भारत की आजादी के प्रस्ताव को मंजूर किया। बंगाल के विभाजन के कारण अंबेडकर को जीती हुई सीट गवांनी पड़ी।

3 अगस्त 1947 - स्वतंत्र भारत के मंत्रीमंडल के नामों की घोषणा। अंबेडकर का नाम भी शामिल ।

15 अगस्त 1947 - नए मंत्रीमंडल ने शपथ ग्रहण की ।

29 अगस्त 1947 - संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने क्रे लिए ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई, डॉ. अंबेडकर को अध्यक्ष बनाया। मनुस्मृति को जलाने वाले पर देश का संविधान लिखने की जिम्मेदारी |

सितम्बर 1947 - देश सांप्रदायिक हिंसा में अभी भी धू-धू कर जल रहा था। अंबेडकर ने गृहयुद्ध रोकने के लिए जो ठोस योजना पेश की थी उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तान में लाखों अछूत फंसे | अंबेडकर की सक्रियता व सुझबुझ से महार रेजिमेंट के वीर सैनिकों ने उन्हें मौत के मुंह से बाहर निकाल भारत लाए।

नवम्बर 1947 - खराब सेहत के बावजूद संविधान निर्माण में रात दिन लगे रहे। कमेटी में सात सदस्य थे लेकिन सारी जिम्मेदारी अंबेडकर पर ही थी। कमेटी पर दवाब |

13 जनवरी 1948- सांप्रदायिक दंगों में उजड़े मुसलमानों को फिर से दिल्ली में बसाने व टूटी मस्जिदों की मरम्मत के मुधे पर गांधीजी ने उपवास शुरू किया।

30 जनवरी 1948- देश में घोर निराशा व अशांति का वातावरण दिल्ली के बिड़ला भवन प्रांगण में गांधीजी की नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर हत्या कर दी।

31 जनवरी 1948- डॉ. अंबेडकर गांधीजी की शवयात्रा में शामिल।

10 मार्च 1948 - मद्रास के प्रसिद्ध विचारक पी. लक्ष्मी नरसू की पुस्तक बुद्ध धम्म का सार' की भूमिका लिखी। बाबासाहेब इसी किताब को पढ़कर बुद्ध के धम्म के प्रति आकर्षित हुए थे।

15 अप्रैल 1948 - बाबासाहेब के दिल्ली निवास में 16 मित्रों की मौजूदगी में डॉ. अंबेडकर व शारदा कबीर का विवाह सम्पन्न | विवाह के बाद नाम डॉ. सविता अंबेडकर रखा गया।

25 अप्रैल 1948 - लखनऊ में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सालाना सम्मेलन में सामाजिक एकता के साथ राजनीतिक सत्ता हासिल करने का आहवान।

1 मई 1948 - नेहरू को पत्र में कहा, मंत्री पद का कोई मोह नहीं। उनके लिए राजनीति एक मिशन है और वे जीवन पर्यन्त दबे कुचले वर्ग के कल्याण हेतु लगे रहेंगे।

7 जुलाई 1948 - बम्बई आये, मजदूर संघ की चल रही हड़ताल को खत्म करवाने की 'कोशिश।

30 जुलाई 1948 - 30 जुलाई से 17 अक्टूबर 1948 तक संविधान का दूसरा अधिवेशन चला। खराब सेहत के बावजूद अंबेडकर खुद ही अनुच्छेद प्रस्तुत करते और विस्तार से उसके महत्व को समझाते थे।

सितम्बर 1948 - राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक गोलवलकर गुरूजी ने बाबासाहेब से दिल्‍ली में भेंट की |

14 अक्टूबर 1949- हिंदी को राष्ट्रभाषा व राज्य भाषा के रूप में स्वीकार करने के लिए ज्ञापन।

अक्टूबर 1948 - ऐतिहासिक पुस्तक अछूत कौन और कैसेप्रकाशित हुई | किताब में लिखा, हिंदू सभ्यता मानवता को दबाने और गुलाम बनाने की एक निर्दयी शैतानी साजिश है।

कार्य प्रगति पर है ............

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