क्या तंत्रमंत्र में कोई शक्ति है ? Is there any power in Tantra Mantra?

 

प्राचीन काल से ही तंत्रमंत्र, जादूटोना के प्रति लोगों का आकर्षण रहा है। समृद्धि चाहिए तो हवन करो, पुत्र चाहिए तो हवन करो, बीमारी है तो मंत्र पढ़ो,किसी को वश में करना है तो यंत्र पूजो, राज्य चाहिए तो मंत्र और हवन करो, किसी दुश्मन को सबक सिखाने हों तो मंत्र पढ़ो। मतलब हमारे सारे काम यंत्रतंत्रमंत्र से हो सकते हैं ? तो फिर काम करने की , मेहनत करने की क्या जरूरत है ? 


आस्तिक लोग ज्यादातर भूतप्रेत , पुनर्जन्म, आत्मापरमात्मा, चुड़ैल, डायन, जादू, गंडाताबिज, टोनाटोटका में ही विश्वास करते हैं। तंत्रमंत्र, झाड़फूंक के नाम पर तंत्र सिद्ध करने के लिए तांत्रिक लोग हमेशा भयंकर, विभत्स, अप्राकृतिक व अमानवीय कांड करते हैं और समस्या ग्रस्त लोगों को ऐसा करने को उकसाते भी हैं। 

ढकोसले और चमत्कारों का शिकार बना कमजोर मन मानसिक गुलामी को जन्म देता है। भारतीय समाज की रचना अथवा व्यवस्था मूलत: दैववाद की बुनियाद पर खड़ी है। कोई भी छोटा-बड़ा संकट उनके लिए भाग्य का फेर होता है। लोग मानते हैं कि दैवी शक्ति को प्राप्त किए बाबा हमें संकटों से मुक्ति दिलाएँगे। 

समस्याओं का मुकाबला करने की बजाय चमत्कार के अंधविश्वासी लोग ढकोसले की ओर मुड़ते हैं। 

हमारा समाज ईश्वर, अनिष्ट रूढ़ियाँ, कर्मकांड जैसे अंधविश्वास के चक्रव्यूह में फँसा हुआ है इसीलिए वह संवेदनाशून्य एवं डरपोक बन गया है। आत्मविश्वास के साथ, प्रयत्नों के साथ एकाध समस्या का सामना करना अथवा साहस से किसी कर्तव्य को पूरा करना इन लोगों के बस में नहीं होता। 

कठिन यथार्थ से डरकर लोग अपनी बुद्धि और स्वाभिमान को ओझा-गुनी या बाबा के पास गिरवी रख देते हैं,लालच की वजह से तंत्रमंत्र पर विश्वास करने लगते हैं । बाबाओं के प्रभावी हथियार चमत्कार (हाथ की सफाई) ही होता है।  इसीलिए समाज को स्वाभिमानी, प्रयत्नवादी एवं निडर बनाने के लिए उनके चमत्कारी ढोंग का विरोध करना जरूरी है। 

यह गांठ बांध लीजिये यह सब धोखा है, भूतप्रेत कुछ नहीं होता, यन्त्रमन्त्रतंत्र में कोई शक्ति नहीं होती। भारत में तथाकथित चमत्कारिक बाबाओं और साधुसंतों की कमी नहीं है। ये लोग चमत्कार के नाम पर अन्धविश्वासी, अनपढ़ लोगों को खूब लूटते हैं। आज की विज्ञान युग में इन सब बातों पर विश्वास न करने का हजारों तर्क है। 

~दीदी Mamata Nayak  के कलम से✍️

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