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यह कारवां आज जिस जगह पर है , मै इसे बड़ी मुसीबतों के साथ, अपने विरोधियो का सामना करके लाया हूँ| तुम्हारा कर्तव्य है कि यह कारवां सदा आगे ही बढ़ता रहे, चाहे कितनी ही मुश्किलें व रुकावटें क्यों न आए | यदि मेरे अनुयायी इसे आगे नही बढ़ा सकें तो यही छोड़ दें, लेकिन किसी भी हालत में इसे पीछे न जाने दे, यही मेरा अंतिम सन्देश है|
                                                                                                                                       -भारत रत्न बाबासाहेब डाँ. भीमराव अम्बेडकर 

 बाबासाहेब के इसी कारवां को जन-जन तक पहुचानें का एक छोटा सा प्रयास इस वेबसाइट के माध्यम से किया जा रहा | आप सभी के सहयोग की अति आवश्यकता है|

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