Lord Macaulay कौन थे? who was lord macaulay?



*भारत मे सार्वजनिक शिक्षा और IPC के जन्मदाता* 

*मैकाले से पहले हजारों वर्षों से इस देश में ब्राह्मण द्वारा किए जाने वाले बड़े से बड़े अपराध के लिए कोई विशेष दंड नहीं होता था। इस देश में हजारों वर्षों तक हत्या को भी मोक्ष तथा हत्यारे को भी मारे गए व्यक्ति का मोक्ष करने वाला ही कहा जाता रहा।*

*अर्थात अपराध की व्याख्या अपराध की प्रकृति से नहीं होकर अपराधी की जाति से की जाती थी।*

*नंद कुमार देव समृद्ध बंगाली ब्राह्मण को लॉ (East India Company) के द्वारा 6 मई 1975 को सर्वप्रथम फांसी तत्कालीन कोलकाता सुप्रीम कोर्ट (रेगुलेटिंग act 1973 के द्वारा 1774 में स्थापित) के प्रथम मुख्य नायाधीश सर एलिजा इम्पे द्वारा तत्कालीन बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स द्वारा लगाए गए जालसाजी के आरोप में दी गई थी। जनरल और न्यायाधीश दोनों घनिष्ठ मित्र थे। ब्राह्मण नंदकुमार को फांसी दिए जाने के बाद भारत और इंग्लैंड में जबरदस्त बहस छिड़ी कि भारतीय व्यक्ति को कम्पनी लॉ के तहत एवं जालसाजी जैसे सिविल मैटर के लिए फांसी नहीं दी जा सकती। ऐसी ही विभिन्न प्रतिक्रियाओं और विरोध के फलस्वरूप भारत में कानूनी प्रावधान करने के लिए चार्टर ऐक्ट 1833 के द्वारा पहली भारतीय विधि आयोग का गठन किया गया जिस के चेयरमैन आजीवन अविवाहित रहने वाले थामस बेबिंगटन मैकाले को बनाया गया था*

*मैकाले ने तत्कालीन लॉ, हिन्दू लॉ आदि का गहनतापूर्वक अध्ययन करते हुए अपनी रिपोर्ट ब्रिटिश सरकार को सौंपी। मैकाले की रिपोर्ट का अध्ययन और अन्य सुझावों हेतु चार्टर ऐक्ट 1853 के अंतर्गत द्वितीय भारतीय विधि आयोग का गठन किया गया।*

 *द्वितीय विधि आयोग द्वारा ब्रिटिश सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन और अन्य सुझावों हेतु The Act for Better Government of India1858 के अंतर्गत गठित विधायी परिषद (Legislative Council) द्वारा गहन परीक्षण और दिए गये सुझावोंपरांत ब्रिटिश सरकार ने वर्तमान ताजिराते हिन्द/ भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को मान्यता दी और भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 57ई० पू० से लागू असमानता पर आधारित ब्राह्मण दंड संहिता (बीपीसी) अर्थात मनुस्मृति को शून्य घोषित करते हुए उसके स्थान पर ब्रिटिश सरकार ने भारत में आईपीसी 06 अक्टूबर 1860 से लागू कर दी। वही आईपीसी आज तक भारत में मामूली संशोधनों के साथ लागू है।*

*भारत में शिक्षा की सार्वजनीकरण के जनक तथा भारतीय दंड संहिता के सूत्रधार लार्ड मैकाले का जन्म 25 अक्टूबर 1800 को इंग्लैण्ड के लेस्टर शहर में हुआ था। वे 10 जून 1834 को कम्पनी शासन द्वारा गठित प्रथम विधि आयोग के अध्यक्ष बनकर प्रथम बार भारत आये। लार्ड मैकाले भारतीय समाज के जनसाधारण के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं थे। वे हजारों साल से शिक्षा के अधिकार से वंचित बहुजन समाज के लिए मुक्ति दूत बनकर भारत आये।*

 *उन्होंने शिक्षा पर पुरोहित वर्ग के एकाधिकार को समाप्त कर सभी को समान रूप से शिक्षा पाने का अधिकार प्रदान किया तथा पिछड़ों, अस्पृश्यों व आदिवासियों की किस्मत के दरवाजे खोल दिए।*

*लार्ड मैकाले अंग्रेजी के प्रकाण्ड विद्वान तथा समर्थक, सफल लेखक तथा धाराप्रवाह भाषण कर्ता थे। लार्ड मैकाले ने संस्कृत-साहित्य पर प्रहार करते हुए लिखा है कि क्या हम ऐसे चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करायें जिस पर अंग्रेजी पशु-चिकित्सा को भी लज्जा आ जाये ? क्या हम ऐसे ज्योतिष को पढ़ायें जिस पर अंग्रेज बालिकाएं हँसें ? उनका मानना था क्या हम इस तरह के इतिहास का अध्ययन कराए जिसमे 30 फुट के राजाओं का वर्णन हो? क्या हम ऐसा भूगोल बालकों को पढ़ने को दें जिसमें शीरा तथा मक्खन से भरे समुद्रों का वर्णन हो ? लार्ड मैकाले का मानना था कि संस्कृत और फारसी भाषा पर धन व्यय करना मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाया जाए।* 

*अंग्रेजी भाषा ने ही भारत को पूरी दुनियाँ से जोड़ा। लार्ड मैकाले ने वर्णव्यवस्था के साम्राज्यवाद को ध्वस्त किया तथा गैर बराबरी वाले मनुवादी साम्राज्य की काली दीवार को उखाड़ फेंका।*

*सच्चाई यह है, कि लार्ड मैकाले ने आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया जिसके कारण ज्योतिवा फुले, शाहु जी महाराज, रामास्वामी नायकर और बाबा साहब अम्बेडकर, जगदेव बाबू, सर छोटू राम बलदेव राम मिर्धा, रामस्वरुप वर्मा, कांशीराम जैसी महान विभूतियों का उदय हुआ जिन्होंने भारत का नया इतिहास लिखा।* 

*इस तरह से मैकाले का भारत में आगमन एक मसीहा के रूप में हुआ था जिन्होंने 5000 वर्ष पुराने सामंत शाही व्यवस्था को ध्वस्त करके जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक इंसानी समाज बनाने का आधार तैयार किया था । मानवता के मसीहा और आजीवन अविवाहित रहने वाले मैकाले का केवल 59वर्ष की आयु में 28 दिसंबर 1859 को देहावसान हो गया।* 


*लार्ड मैकाले को समानता पर आधारित वर्तमान आईपीसी के जनक और भारत में शैक्षिक प्रसारक के रूप में हमेशा याद किया जायेगा। 

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